कोरोना के प्रकोप के चलते मार्च में शिक्षण व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गई. स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी और शिक्षण संस्थानों को बंद करने का फैसला लिया. कोरोना का प्रकोप धीरे-धीरे बढ़ने लगा और कॉलेजों को खुलने में करीब 10 महीनों का समय लग गया. इस दौरान ग्रेजुएशन में विद्यार्थियों को बिना परीक्षा के ही प्रमोट करने का फैसला लिया गया, लेकिन अब इसके साइड इफेक्ट सामने आने लगे हैं.
ग्रेजुएशन में बिना परीक्षा के प्रमोट होने वाले विद्यार्थियों को मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा छात्रवृत्ति नहीं देने का फैसला लिया गया है. कॉलेज आयुक्तालय ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं. छात्रवृत्ति के लिए अब तक 69 हजार विद्यार्थियों ने आवेदन किया है. कॉलेज आयुक्तालय ने निर्देश दिए हैं कि 12वीं पास कर प्रथम वर्ष में आने वाले विद्यार्थियों को ही छात्रवृ्त्ति का लाभ दिया जाए, जबकि द्वितीय और तृतीय वर्ष में प्रमोट होने वाले विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति का लाभ नहीं दिया जाएगा.
योजना के तहत 60 फीसदी अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी ही छात्रवृत्ति के हकदार थे, लेकिन इस साल विद्यार्थियों को प्रमोट होने की वजह से प्रतिशत नहीं है. जिसकी वजह से इनको छात्रवृत्ति का लाभ नहीं दिया जाएगा. एबीवीपी (ABVP) छात्र नेता होश्यार मीणा का कहना है कि “छात्रवृत्ति की इस योजना से हजारों ऐसे विद्यार्थियों (Students) को लाभ मिल रहा था जो गरीब तबके से आते हैं और छात्रवृत्ति के सहारे ही अपनी पढ़ाई नियमित रख पा रहे हैं. ऐसे में सरकार को छात्रहित में फैसला लेना चाहिए.”
तो वहीं दूसरी ओर एनएसयूआई की ओर से भी छात्रवृत्ति नहीं देने के फैसले को वापस लेने की मांग की गई है. एनएसयूआई प्रदेश प्रवक्ता रमेश भाटी का कहना है कि “कोरोना के चलते परीक्षा नहीं हो पाई, जिसके चलते सरकार ने विद्यार्थियों को प्रमोट किया है. ऐसे में उनकी पिछली साल की प्रतिशत के आधार पर छात्रवृत्ति देने का फैसला लेना चाहिए. छात्रवृत्ति नहीं मिलने से गरीब तबके के विद्यार्थियों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.”
छात्रवृत्ति के तहत 60 फीसदी से अधिक अंक प्राप्त करने वाले करीब 1 लाख विद्यार्थियों को मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा छात्रवृत्ति योजना का लाभ मिलता है. योजना के तहत प्रत्येक विद्यार्थी को 5 हजार रुपये सालाना दिए जाते हैं, लेकिन इस साल उच्च शिक्षा विभाग के फैसले के बाद गरीब तबके के विद्यार्थियों को खासी समस्या का सामना करना पड़ सकता है.
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