अजमेरराजस्थान

108 स्थानों पर “महामारी नाशक यज्ञम” संपन्न

ब्यावर – महंत डा. प्रकाश नाथ शास्त्री के आवाहन पर भारत में 108 स्थानों पर आगामी 29 एवं 30 जून को भारत के 108 स्थानों पर “महामारी नाशक यज्ञम” का पुनीत आयोजन किया ! अपनी सनातनी संस्कृति के उत्थान एवं विश्व कल्याण हेतु और कोरोना महामारी के अंत के लिए अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित इस विराट यज्ञम के दिल्ली , महाराष्ट्र , गुजरात, मध्य-प्रदेश , छत्तीसगढ़ , उत्तर-प्रदेश , हरियाणा, पंजाब, सहित 16 राज्यों के सेकड़ों साधकों एवं धर्म-प्रेमी जन सहभागी बने !

उल्लेखनीय है कि महा-आयोजन के तहत मकरध्वज बालाजी धाम, बलाड रोड , ब्यावर पर गुप्त-नवरात्र की पावन वेला में 22 से 29 जून 2020 तक “महामारी नाशक यज्ञम” का विराट आयोजन किया गया ! यह आयोजन मकरध्वज बालाजी विश्व कल्याण ट्रस्ट – ब्यावर एवं अखिल भारतीय प्राच्यविद्या संस्थान- दिल्ली के संयुक्त सौजन्य से संपन्न हुआ !

#कोरोनामहामारी और_यज्ञ के बारे में इतना ही कहना है कि सनातन यज्ञ संस्कृति से ही विश्व का कल्याण होगा और इस वैश्विक महामारी कोरोना का अंत होगा ! हमारे यहाँ हवन , होम , यज्ञ भी रोग से लड़ने का सशक्त माध्यम है और यज्ञ का महत्त्व तो हमारे जीवन के प्रारम्भ से लेकर मृत्यपर्यन्त बना रहता है ! आज जब कोरोना जैसा अनदेखा अनजाना रोग धीरे धीरे हमें मृत्यु की और खींच रहा है , तो क्यों नहीं हम हवन यज्ञ जैसे सशक्त अनुभूत माध्यम का सहारा लेवे !

#यज्ञकीमहिमा से हमारा सम्पूर्ण धार्मिक इतिहास भरा पड़ा है ! देवराज इन्द्र ने स्वयं भी यज्ञों के द्वारा सब कुछ पाया था ! भगवान श्री राम को रामायण में स्थान स्थान पर यज्ञ करने वाला कहा गया है ! भगवान श्री कृष्ण सब कुछ छोड़ सकते हैं, पर हवन नहीं छोड़ सकते ! वह हस्तिनापुर जाने के लिए अपने रथ से निकल पड़ते हैं , मार्ग में ही शाम हो जाती है तो वह रथ रोककर हवन करते हैं ! भगवान श्री कृष्ण अगले दिन कोरवों से युद्ध का घोष करने से पहले यज्ञ करते हैं ! अभिमन्यु के बलिदान जैसी ह्रदय विदारक घटना होने से पहले यज्ञ करते हैं ! अर्थात भगवान श्री कृष्ण के जीवन का एक एक क्षण जैसे आने वाले युगों को यह सन्देश दे रहा था कि चाहे कुछ भी हो जाए यज्ञ करना कभी नहीं छोड़ना चाहिए ! प्राचीन काल में वशिष्ठ मुनि , ऋषि विश्वामित्र , भगवान परशुराम , जमदग्नि , अंगिरा ऋषि , गौतम ऋषि , कणाद , भृगु ऋषि यज्ञ करते थे ! हमारे महान ऋषियों ने यज्ञ परंपरा देकर हम पर उपकार किया है ! यज्ञ से वायुमंडल शुद्ध पवित्र होता है , रोगाणु विषाणु का नाश होता है , शुद्ध विचारों का प्रभाव जन्म लेता है , जहां यज्ञ होता है वहां मंत्र शक्ति की चैतन्यता दिव्यता से आस-पास का वातावरण शुद्ध होता है , स्वाहा के द्वारा यज्ञ में जो भी समर्पित किया जाता है वह परमात्मा को प्राप्त होता है ! वर्तमान में मंत्र शक्ति के द्वारा बगलामुखी यज्ञ एवं महामृत्युंजय यज्ञ की प्रसिद्धि सर्व विदित ही है !

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