कोरोना संक्रमण कम होने के बाद प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार (Ashok Gehlot Government) ने बड़ा निर्णय लेते हुए पटाखों (Firecrackers) के बेचने और आतिशबाजी करने पर लगा प्रतिबंध हटा (Ban removed) दिया है. राज्य सरकार ने कोरोना महामारी के मद्देनजर 3 नवंबर 2020 को पटाखों के बेचान पर प्रतिबंध लगाया था. अब राज्य सरकार ने पटाखों की बेचान पर लगा प्रतिबंध हटा लिया है. राज्य के गृह विभाग ने इसके आधिकारिक आदेश जारी कर दिये हैं.
3 नवंबर 2020 को राज्य सरकार ने पटाखे बेचने पर 10000 और पटाखे फोड़ने पर 2000 रुपये जुर्माना तय किया था. सरकार की सख्ती के कारण दीपावली पर भी पटाखों का बेचान और आतिशबाजी नहीं हो सकी थी. हालांकि नव वर्ष की पूर्व संध्या पर 31 दिसंबर को कई जगह लोगों ने आतिशबाजी की थी. सरकार ने पटाखे बेचने और आतिशबाजी पर रोक लगाने संबंधी दोनों अधिसूचनाएं वापस ले ली हैं.
गहलोत सरकार ने सख्ती से लागू किया था
राजस्थान में पटाखों पर बैन लगाने के बाद गहलोत सरकार ने इसे सख्ती से लागू करने का फैसला किया था. इसके तहत 31 दिसंबर तक पटाखा बेचने पर 10 हजार रुपए और आतिशबाजी करने पर 2 का जुर्माना लगाया गया था. सरकार ने इस संबंध में 3 नवंबर को अधिसूचना भी जारी की थी. यह कार्रवाई राजस्थान महामारी अधिनियम-2020 के तहत की गई थी. राज्य सरकार के फैसले से पटाखा कारोबार से जुड़े हजारों लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया था. पटाखों पर से प्रतिबंध हटाने का मामला करीब महीने पहले राजस्थान हाईकोर्ट भी पहुंच गया था.
प्रतिबंध हटाने का मामला हाईकोर्ट पहुंचा था
आतिशबाजी व पटाखा बिक्री पर लगी पाबंदी को हटाने को लेकर हाई कोर्ट में याचिका लगाई गई थी. ये याचिका पटाखा व्यवसायियों से जुड़े संघ राजस्थान फायर वर्क्स डीलर एंड मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन ने लगाई थी. यह भी समस्या थी कि जो पटाखे बनकर तैयार हो गए हैं उनका पाबंदी के बाद क्या किया जाये. याचिका में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार पटाखों पर पाबंदी हटाकर दो घंटे चलाने की मंजूरी देने का आग्रह किया गया था.
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