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स्थानीय निकाय के अभियानों का असर, ‘प्लास्टिक फ्री’ होने की राह पर बेंगलुरु

बेंगलुरु
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में चलाए जा रहे अभियानों और स्थानीय निकाय की सक्रिय मुहिमों के कारण बेंगलुरु को प्लास्टिक फ्री बनाने की दिशा में सफलता मिलती दिखने लगी है। कर्नाटक की राजधानी में बृहद बेंगलुरु महानगरपालिका (बीबीएमपी) के आंकड़ों के मुताबिक, हाल के वक्त में स्थानीय निकाय द्वारा चलाए गए अभियानों के कारण प्लास्टिक के इस्तेमाल में कमी आई है। इसका दावा खुद बीबीएमपी के आंकड़ों में किया गया है, जिसका समर्थन प्लास्टिक उत्पादकों ने भी किया है।

हाल ही में बीबीएमपी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक इस वित्तीय वर्ष के पहले दो महीनों में ही बीबीएमपी ने अलग-अलग अभियानों में करीब 3921 किलोग्राम प्रतिबंधित प्लास्टिक से बना सामान जब्त किया है। इन अभियानों में बीबीएमपी ने करीब 16 लाख रुपये का जुर्माना भी वसूला है। इससे पहले 2018-19 में बीबीएमपी ने 1.2 लाख किलोग्राम प्रतिबंधित प्लास्टिक जब्त किया था और इस साल जुर्माने के रूप में करीब 74 लाख रुपये वसूले गए थे।

कई हिस्सों में बैन प्लास्टिक का प्रयोग लगभग बंद
इन अभियानों की सफलता का दावा करने वाले बीबीएमपी के स्पेशल कमिश्नर डी. रणदीप का कहना है कि निकाय की सख्ती और निरंतर चल रहे अभियानों के कारण प्लास्टिक के इस्तेमाल में कमी आई है। हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकारा की प्लास्टिक के इस्तेमाल पर अभी पूरी तरह से पाबंदी नहीं लगाई जा सकी है। बीबीएमपी के अधिकारियों के मुताबिक, बेंगलुरु के जयानगर एवं मल्लेश्वरम जैसे हिस्से प्लास्टिक फ्री होने की कगार पर हैं, वहीं इन अभियानों को और प्रभावी बनाने में तमाम स्वयंसेवी संस्थाएं भी सहयोग दे रही है।

दुकानदार कागज के बैग का कर रहे प्रयोग
बीबीएमपी से इतर कर्नाटक स्टेट प्लास्टिक असोसिएशन के सचिव सुरेश सागर भी कहते हैं कि कई कंपनियों ने घाटे के कारण प्लास्टिक के इस्तेमाल को बंद कर दिया है। इसके अलावा स्थानीय स्तर भी दुकानदार कागज और कपड़े से बने बैग का इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं कई दुकानदारों ने भी यह माना कि वह अब प्लास्टिक बैग की जगह कागज या कपड़े से बने बैग में सामानों की बिक्री कर रहे हैं। बता दें कि सरकार ने 11 मार्च 2016 को एक अधिसूचना के जरिए राज्य में प्लास्टिक पर बैन लगा दिया था। हालांकि नियमों के बावजूद कर्नाटक के कई हिस्सों में प्लास्टिक बैगों का धड़ल्ले से इस्तेमाल होता रहा। बाद में इसे रोकने के लिए नगर महापालिका ने बड़े स्तर पर अभियान भी चलाए।

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