राजस्थान

फास्टैग में मिनिमम बैलेंस की बाध्यता खत्म, जानिए और क्या नियम बदले

फास्टैग (Fastag) को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने अहम कदम उठाया है. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI,एनएचएआई) ने फास्टैग में मिनिमम बैलेंस रखने की बाध्यता खत्म कर दी है. हालांकि यह सुविधा सिर्फ कार, जीप या वैन (Car, Jeep, Van) के लिए ही है, कामर्शियल व्हीकल (Commercial Vehicles) के लिए नहीं.

एनएचएआई ने फास्टैग जारी करने वाले बैंकों से कहा है कि वे सिक्योरिटी डिपॉजिट के अलावा कोई मिनिमम बैलेंस रखना अनिवार्य नहीं कर सकते हैं. पहले विभिन्न बैंक फास्टैग में सिक्योरिटी डिपोजिट के अलावा मिनिमम बैलेंस रखने के लिए भी कह रहे थे. कोई बैंक 150 रुपये तो कोई बैंक 200 रुपये का मिनिमम बैलेंस रखने को कह रहे थे. मिनिमम बैलेंस होने की वजह से कई FASTag उपयोगकर्ताओं को अपने FASTag खाते/वॉलेट में पर्याप्त शेष होने राशि के बाद भी एक टोल प्लाजा से गुजरने की अनुमति नहीं मिलती थी. इसके चलते टोल प्लाजा पर गैर जरूरी नोक—झोंक होती थी और कई बार पीछे आ रहे वाहनों को असुविधा होती है.

एनएचएअई के मुताबिक यूजर को अब टोल प्लाजा से गुजरने की तब तक अनुमति दी जाएगी, जब तक कि FASTag खाते/वॉलेट में निगेटिव बैलेंस नहीं है. यदि फास्टैग अकाउंट में कम पैसे हैं तो भी कार को टोल प्लाजा पार करने की अनुमति होगी. भले ही टोल प्लाजा पार करने के बाद फास्टैग अकाउंट निगेटिव क्यों नहीं हो जाए. यदि ग्राहक उसे रिचार्ज नहीं करता है तो निगेटिव अकाउंट की रकम बैंक सिक्योरिटी डिपॉजिट से वसूल कर सकता है.

FASTag कुल टोल कलेक्शन का 80 फीसदी
देश भर में 2.54 करोड़ से अधिक फास्टैग के यूजर हैं. हाइवे पर FASTag कुल टोल कलेक्शन का 80 फीसदी योगदान देता है। इस समय FASTag के माध्यम से डेली टोल कलेक्शन 89 करोड़ रुपए को पार कर गया है। गौरतलब है कि 15 फरवरी 2021 से फास्टैग के माध्यम से टोल प्लाजा पर भुगतान अनिवार्य हो जाएगा. ऐसा इसलिए, क्योंकि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण देश भर में टोल प्लाजा पर 100% कैशलेस टोल प्राप्त करने का लक्ष्य बना रहा है.

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