जयपुर। यमुना से राज्य के सीकर,चूरू और झुंझुनूं के लिए पेयजल और सिचाई के लिए पानी लाने की 25 वर्ष पुरानी आस अब पूरी होगी। इसके लिए मंगलवार को राज्य के जल संसाधन विभाग के अफसरों ने मजबूती से दिल्ली में केन्द्रीय जल आयोग के समक्ष यमुना का पानी राजस्थान लाने के लिए पक्ष रखा। अधिकारियों ने यमुना का पानी हरियाणा से पाइप लाइन के जरिए चूरू, झुुंझुनुं और सीकर लाने के लिए 31 हजार करोड़ की संशोधित डीपीआर का दो घंटे तक केन्द्रीय जल आयोग के मुख्य अभियंता के समक्ष प्रजेन्टेशन दिया।
प्रजेन्टेशन में केन्द्रीय जल आयोग के समक्ष राज्य के इन तीन जिलों की पेयजल और सिचाई के पानी की जरूरतों के जो तथ्य रखे उनसे आयोग के अफसर संतुष्ठ दिखे और जल्द ही राज्य की इस परियेाजना की मंजूरी का आश्वासन दिया। जल संसाधन विभाग के अफसरों के अनुसार यमुना से पानी लाने का काम दो चरणों में पूरा होगा। पहले चरण में 14 हजार करोड़ और दूसरे चरण में 17 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। यमुना का पानी मिलने के बाद सीकर और झुंझुनूं को पेयजल और झुंझुनूं और चूरू को सिचाई का पानी मिलेगा।
यमुना से जल लेने के लिए 1994 में 5 राज्यों में एमओयू हुआ था। इस समझौते के बाद भी हरियाणा सरकार ने हरियाणा की नहरों के जरिए यमुना का पानी लाने के लिए अपनी सहमति नहीं दी। जिसके कारण चूरू, झुुंझुनूं और सीकर जिलों के लिए पेयजल और सिचाई के लिए पानी नहीं मिल सका। इसके बाद यमुना से पाइप लाइन के जरिए पानी लाने की योजना बनी और उसकी 31 हजार करोड़ रुपए की संशोधित डीपीआर बनाई गई। अब माना जा रहा है कि जल्द ही यमुना का पानी इन तीन जिलों को मिल सकेगा।