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One Nation One Election : एक देश, एक चुनाव क्या है? जानें सबकुछ

One Nation One Election

भारत सरकार ने एक देश, एक चुनाव (ओएनओई) को लागू करने के लिए एक समिति का गठन किया है। इस समिति की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद कर रहे हैं। ओएनओई एक प्रस्ताव है जिसमें लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक ही समय पर कराने का सुझाव दिया गया है।

ओएनओई एक ऐसा प्रस्ताव है जो भारतीय राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला सकता है। इसके कई फायदे और नुकसान हैं, और इसके संभावित प्रभावों पर व्यापक चर्चा की जानी चाहिए।

एक देश, एक चुनाव (ONOE) एक ऐसा प्रस्ताव है जिसमें भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक ही समय पर कराए जाते हैं। यह पहली बार 1952 में लागू किया गया था, लेकिन 1967 के बाद से यह लागू नहीं हुआ है।

ONOE के पक्ष में तर्क

ONOE के पक्ष में कई तर्क दिए जाते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • यह चुनावी खर्च को कम करेगा। वर्तमान व्यवस्था में, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। इससे चुनावी खर्च दोगुना हो जाता है। ओएनओई के लागू होने से चुनावी खर्च में कमी आएगी।
  • यह चुनावी प्रक्रिया को सरल बनाएगा। वर्तमान व्यवस्था में, मतदाताओं को हर बार चुनाव के लिए मतदान केंद्र जाना होता है। ओएनओई के लागू होने से मतदाताओं को एक ही दिन में दो बार मतदान करना होगा। इससे चुनावी प्रक्रिया सरल हो जाएगी।
  • यह चुनावी मुद्दों पर अधिक ध्यान केंद्रित करेगा। वर्तमान व्यवस्था में, मतदाताओं को दो बार चुनाव में भाग लेना पड़ता है। इससे मतदाताओं का ध्यान चुनावी मुद्दों से हट सकता है। ओएनओई के लागू होने से मतदाताओं का ध्यान चुनावी मुद्दों पर अधिक केंद्रित होगा।
  • यह राजनीतिक स्थिरता को बढ़ाएगा। वर्तमान व्यवस्था में, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। इससे राजनीतिक अस्थिरता हो सकती है। ओएनओई के लागू होने से राजनीतिक स्थिरता बढ़ेगी।

ONOE के खिलाफ तर्क

ONOE के खिलाफ भी कुछ तर्क दिए जाते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • यह क्षेत्रीय मुद्दों को कमजोर कर सकता है। वर्तमान व्यवस्था में, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। इससे क्षेत्रीय मुद्दों को अधिक महत्व मिलता है। ONOE के लागू होने से क्षेत्रीय मुद्दों को कम महत्व मिल सकता है।
  • यह राष्ट्रीय पार्टियों के पक्ष में होगा। वर्तमान व्यवस्था में, क्षेत्रीय पार्टियों को लोकसभा चुनावों में राष्ट्रीय पार्टियों के मुकाबले अधिक सफलता मिलती है। ONOE के लागू होने से राष्ट्रीय पार्टियों के पक्ष में अधिक संभावना होगी।
  • यह संविधान संशोधन की आवश्यकता होगी। संविधान के अनुसार, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव अलग-अलग समय पर होने चाहिए। ONOE को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता होगी।

संविधान संशोधन

ONOE को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता होगी। संविधान के अनुच्छेद 80 और 172 के अनुसार, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव अलग-अलग समय पर होने चाहिए। ONOE को लागू करने के लिए इन अनुच्छेदों में संशोधन किया जाएगा।

संविधान में संशोधन के लिए एक प्रस्ताव संसद में पारित किया जाएगा। इसके बाद इसे राज्यों की विधान सभाओं में भी पारित किया जाएगा। यदि 2/3 राज्यों की विधान सभाओं में प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो संविधान संशोधन लागू हो जाएगा।

निष्कर्ष

ONOE एक ऐसा मुद्दा है जिस पर लंबे समय से बहस चल रही है। इसके पक्ष और विपक्ष में कई तर्क दिए जाते हैं। ओएनओई को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता होगी। संसद और राज्य विधानसभाओं में इस मुद्दे पर चर्चा होने की संभावना है।

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